एक थी मुन्नी, जिसने नौ साल बाद ली खुली हवा में सांस #NareshParas
बेवश मुन्नी ने बिना जुर्म नौ साल तक काटी सजा.
एक ऐसा अधिनियम जिसने दिलाई उसे आज़ादी.
एक ओर जहाँ धर्म-मजहब के नाम पर लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं और एक दूसरे के धर्म को नीचा दिखाने के लिए हजारों मांओ की कोख सूनी कर दी जाती हैं तथा करोड़ों सवधाओं का सिंदूर उजाड़ दिया जाता है। लेकिन इन सब बातों से दूर मैंने मानवता का धर्म निभाते हुए एक ऐसी लड़की को न्याय दिलाया जो बिना जुर्म के आगरा के नारी संरक्षण गृह में आठ साल से सजा काट रही थी. उसका नाम था मुन्नी.
यह कहानी एक ऐसी बदनसीब असहाय एवं बेवश लड़की की कहानी है.जिसे अफसरशाही ने हठधर्मिता दिखाते हुए बिना किसी जुर्म के कैद कर लिया और सलाखों के पीछे जीवन काटने को मजबूर कर दिया.जेल की चारदीवारी में कैद मुन्नी कभी शून्य को निहारती तो कभी अपने आप को ! उसे इंतजार था किसी मसीहा का जो उसे इस कैद से बहार निकाल सके.मुन्नी ने सभी अफसरों से गुहार लगायी की उसे बाहर निकाला जाये उसका विवाह कराया जाये.उसके भी सपनों का राजकुमार आये और उसे ले जाये.वो भी चाहती थी कि उसके भी हाथों में मेहँदी लगे उसके लिए भी शहनाई बजे लेकिन मुन्नी की भावनाओं को किसी ने नहीं समझा. मुन्नी जो बिना किसी जुर्म पिछले नौ सालों से कैदियों की तरह सजा काट रही थी। उसके साथ हर दर्जे का उत्पीड़न किया गया।
जैसे ही मुझे मुन्नी की अवैध निरुद्धि के बारे में पता चला तो मेरा मन विचलित हो उठा. मैंने सुचना का अधिकार अधिनियम के तहत मुन्नी के बारे में पुछा तो हैरतंगेज खुलासा हुआ. बताया गया कि 21 जुलार्इ 1999 को मुन्नी को सड़क पर लावारिस अवस्था में सड़क पर घूमते हुए पकड़ा था जब उसकी उम्र महज 14 वर्ष थी। उसे घर पहुचाने के बजाए "नैतिक संकट" का हवाला देकर एसडीएम के आदेश पर नारी संरक्षण गृह आगरा में कैद कर दिया गया और वेश्याओं के साथ सजा काटने को मजबूर कर दिया।
अधीक्षिका श्रीमती गीता राकेश ने यह भी स्वीकार किया कि यहां सिर्फ देह व्यापार में पकड़ी गर्इ लड़कियों को ही रखने का प्रावधान है फिर भी एक नाबालिग लड़की को उसकी मर्जी के विरूद्ध वेश्याओं के बीच रहने को मजबूर कर दिया। उसने अपना पूरा बचपन एवं यौवन सलाखों के पीछे ही काटा। वह अपने जीवन के अनमोल क्षणों कों बर्बाद होते देखती रही। जब उसने अपने यौवन में कदम रखा तो संरक्षण गृह में ही मुन्नी की सुरक्षा में लग अर्जुन सिंह नामक सिपाही ने मुन्नी के साथ बलात्कार कर डाला। इससे मुन्नी पूरी तरह टूट गर्इ लेकिन मुन्नी पर किसी को तरस नही आया। मुन्नी की बेवशी का तमासा बनाया गया। जब मामला मेरे संज्ञान में आया तो उस घटना को आठ साल बीत चुके थे.आठ वर्ष से इस संरक्षण गृह में बेकसूर मुन्नी का मानसिक शोषण के साथ-साथ शारीरिक शिशन भी किया गया.
मुन्नी के साथ हो रहे इस अन्याय ने मुझे झकझोर कर रख दिया और मैंने मुन्नी को आजाद कराने की थान ली. को न्याय दिलाने के लिए मैंने एक के बाद एक अभियान चलाया। प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति तथा राज्यपाल को पत्र लिखे। मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में लाया तथा,धरना-प्रदर्शन के साथ-साथ कर्इ अंन्य अभियान चलायें। उनके इस अभियान के विरूद्ध प्रशासन एवं पुलिस अधिकारियों ने मेरा भी उत्पीड़न भी किया यहाँ तक कि पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर थाने में बुलाकर प्रताडि़त किया और कहा कि ऐसा अन्दर करेंगें कि सव समाज सेवा भूल जाओगे। चुपचाप और लोगो की तरह शहर में रहें अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेगें।
लेकिन एक जुनून था कि किसी तरह उस बेवश और लाचार महिला को न्याय दिलाया जाये. मैंने हिम्मत न हारते हुए मुन्नी के न्याय की लड़ार्इ लड़ी और आखिरकार जीत सच्चाई की हुयी.प्रशासन को सच के सामने झुकना पड़ा.एडीजे के आदेश पर मुन्नी को कानपूर स्थित महिला आश्रम में भेज दिया गया.मुन्नी को कानपुर भेजने की सूचना नहीं गयी.फिर भी मीडिया के माध्यम से पता चल गया.कानपुर में उसकी सेविका के रूप में नौकरी लग गयी.उसे काम के बदले वेतन भी मिलने लगा.मुन्नी को न्याय दिलाकर बहुत ख़ुशी हुयी। मुन्नी एक मुस्लिम लड़की थी जबकि मैं स्वंय एक हिन्दू । मैंने मुन्नी को एक बार भी अपनी आँखों से नहीं देखा सिर्फ मानवता की खातिर मुन्नी की लड़ार्इ लड़ी और उसे न्याय दिलाया। यही नहीं मुन्नी आज अपने पति के साथ सुखद वैवाहिक जीवन बिता रही है। मुन्नी का विवाह कन्नौज के एक युवक के साथ वर्ष 2009 में कर दिया गया है। यह जानकारी भी मुझे सूचना अधिकार के तहत मांगी गर्इ जानकारी में राजकीय महिला आश्रम की अधीक्षिका पूनम कुमारी ने दी। मुन्नी को मिले इस न्याय से मुझे को बेहद खुशी हुर्इ लेकिन अफसोस इस बात का रहा कि मुन्नी से एक बार भी मेरी मुलाकात नही हो सकी। शायद उसे पता भी न होगा कि उसे कैद से बाहर निकालने में मैंने उसकी मदद की थी
यह मिसाल है उन समाज और धर्म के ठेकेदारों के लिए जो सिर्फ मंदिर मस्जिद के नाम पर लोगों को गुमराह करते हैं और उन्हें एक दूसरे से लड़ा देते हैं। कैसा दुर्भाग्य है इस स्वतंत्र भारत के इन भ्रष्ट अधिकारी एवं अलभबदारों का. इस पर भारत सरकार को विशेष घ्यान देने की आवश्यकता है। कौन जाने आज भी न पाने कितनी निर्दोष मुन्नियां इस भ्रष्ट व्यवस्था की शिकार होंगी। उन्हें भी इन्तजार है एक मसीहा का जो उन्हें दिला सके न्याय वे भी कर सकें अपनी हसरत पूरी।
इस सच्ची कहानी पर अपनी टिप्पणी जरुर करें.
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RTI activist in trouble for
asking too many questions
Caclubindia
CA Rajesh S (Chartered Accountant) (1581 Points) 29 August 2008
https://www.caclubindia.com/forum/rti-activist-in-trouble-for-asking-too-many-questions-13574.asp
Munni isn’t free – and no
one knows why
twocircles.net March 10, 2008 Brij Khandelwal, IANS
https://twocircles.net/2008mar09/munni_isnt_free_and_no_one_knows_why.html
नरेश पारस, आगरा.
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